किस ओर तू चला है बावरे?किस ओर तू उड़ा है बावरे?हर दिशां में तेरी ही छवि हैऔर हर छवी में वोह हर शक़्स है ,जिसे तलाश हर वक़्त हैपुकारती है मंजिले जिसे बेहध हैकिस ओर तू चला है बावरे?किस ओर तू उड़ा है बावरे?कतरा कतरा जीता क्यूं है?फिर कतरा कतरा मरता क्यूं है?बिखरे सवालो सा […]
कुछ है जो दबी है हवाओ में कही जो सर उठाओ तो देख लेना वही खूँटे पे तंगी लमहों की चादर मिलेगी कुछ रंगो में एहसासों की नशीली परछाईं मिलेगी मदहोशी में सनी आख़री साँसे लेता, वो बुदबुदाता बल्ब मिलेगा अपनी ही परत उतारती, वो आँधियो में हिम्मत रखती दीवार मिलेगी उस छत से टपकती […]
कुछ रिश्ते कितने अजीब होते हैं,दूर हो कर भी करीब होते हैं।भोएं तंज कर लेना,और तुनक जाना,खूब लड़ना और मिलते ही रो रो के गले लगाना।कुछ रिश्ते ——— उधड़े हुए वाकयों को सुई से पिरोना,पेबंद लगा कर संजों रखना,बेरंग कपड़ों की तरह,खुशबू से उनकी फिर ,ताज़ा वो वाकये होते हैं।कुछ रिश्ते——- है रंजिशे जो झुर्रियों […]
गाँव-गाँव तक फैल गया है शिक्षा का प्रसार लेकिन शिक्षा बन बैठी है अब एक कारोबार बच्चों के स्कूलों से ही तय होता है अब परिवार का सामाजिक आधार। पाँच सितारा होटेलों के जैसे स्कूल की इमारतें की जाती हैं तैयार, सरकारी सहायता के एवज में लाभ कमाने के अवसर होते साकार । इंटरनेशनल स्कूल […]
खुद को भी थोड़ा वक्त दो :- आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में इंसान इतना व्यस्त हो गया है कि वह अपने घर -परिवार, स्वास्थ्य और स्वयं के लिए भी समय नहीं निकाल पाता है और पैसे की होड़ में जीवन की सच्ची खुशियों को भूलता जा रहा है । हम सभी को अपने लिए […]
जागने की हसरत थी रोशिनओं मेंमुझे जगाए रखा अंधेरों की ठोकरों ने। जो नहीं समझ पाते अंधेरों की जागृित वो कैसे समझेंगे मेरा जागरणवो कैसे समझेंगे मेरे अंधेरों के उजाले वो सो रहे हैं आँखें खोल करअंधेरों से अंधेरा पैदा हो यह ज़रूरी नहीं पर ये वो नहीं समझतेजो बौद्धिक अंधकार के शिकार हैं। जो […]
This poem is about a son’s love for his father. It begins describing the father’s and goes on to show love the son has for his father. “His father is everything to him. He knows what his father did and how much he sacrificed for his son. In the end, it is clearly shown that […]
असफलताओं के दौर में,सफलता एक ख़ास मिली,शायद कुछ और मेरे लिए है चुना,कुदरत से ये आस मिली। मुड कर जब मैं देखूंगा,पहुंच कर उस ओर,ये दौर याद कर हँस लूंगा,क्योंकि हूंगा मैं किसी ओर छोर। मेरी कामयाबी इसी असफलता की नींव पर खड़ी है,असफलता ही तो यारों उन्नती की कड़ी है,मैं गर न हार जाता […]
तुम जो चले गए दुख तो बहुत होता है,जंदगी है यारों सारी उमर कौन रोता है,चद्दर की सिलवटों में तुम्हारी याद रहेगी,किसी जन्म में फिर मिलने की फरियाद रहेगी, रातों में चांद शायद ताने दे,हमको अपने वादे याद दिला दे,करवटों की हलचल कहां गई,सांसों की आवाज़ लुप्त हुई,अब आराम से यहां कौन सोता है,जिन्दगी है […]
आँखों की कैद में,रहने दो अब मुझे•••••कभी नूर बन के,कभी मोतियों के जैसेतिरने दो अब मुझे••••! यूँ इस तरहरुला के,न रिहा करो मुझे,आँखों की कैद मे ही,रहने दो मुझे•••••••!! Picture by Kat J (Unsplash)
खेलो खेल खेलोमजे ले ले के खेलो खेलो खेल खेलो। फुट बाल खेला?या टेनिस,या फिर हॉकी,या क्रिकेट? थक जाओ तो आराम कर लो ,पानी पी लो,नहीं?थके नहीं?ये कौन सा खेल है?जिसमे थकते नहीं,रुकते नहीं? हम लोगों से खेलते हैं ,उनकी भावनाओं से,आदत है खेलने की ,थकते नहीं,रुकते नहीं ।इधर से सुना उधर दे डाला,मजे लेने के […]
दोस्त बहुत अच्छे होते है;कुछ सच्चे,तो कुछ कच्चे होते हैं;एक थाली में खाना;भूख ना होने का करना बहाना;मेरे पैसे बचाना,उस पर बात टाल जाना।यही दोस्त पक्के होते हैं;कुछ सच्चे,तो कुछ कच्चे होते हैं। सिर पर हाथ रखे तो ठंडक पड़ जाए;गले जो मिले तसल्ली मिल जाए;गुस्से में भी जिनके प्यार नजर आए;कुछ मेरे दोस्त ऐसे […]
बांटा है समय ने,कुछ ऐसी गहराई से;दो छोर के बीच का सफर मेरामानो घिर गया है धुंद और परछाई से। है अलग अलग सा अहसास बहुत;कभी पीड़ा,कभी अल्हाद बहुत;है शिखर पर भावनाओं की, खड़ी हो सोच रही;क्षितिज सा और अनंत सा रहा हर मेरा अनुभव;अंतराल के खालीपन ने अनंत से मिला दिया। हाथो में थी […]
जिंदगी की आज कुछ तहकीकात की;कुछ पुराने पन्नों की जांच पड़ताल की। आदतन है ले बैठा था कलम;स्याही ने गिर कर हकीकत पन्नों पर डाल दी। क्यों उठे धुएं से परछाई बना रहे थे?जिंदगी की हवा ने तो बनावट उधार दी। हम गले मिले?या गालों से गाल टकराएं;खोखली सी हवा में वो गर्मी कहां से […]
कुछ नहीं मै,बस धड़कते दिल के सिवा,गर महसूस हो तो,महसूस कर लिजिये..भावों का ही बस,है मुझमें बसेरा,यकीं गर हो तो,बस जाईये..और कुछ नहीं,बस खाली हूँ मैं,चुप सदाओं को मेरीही सुन लीजिए.
कौन रहता साथ हमेशा,जानती हूँ, फिर भी चाहती हूँ.••••वो भी इस बात मेंशामिल है,जानती हूँ,फिर भी कहती हूँ•••••चुन रही हूँ,गुलों की शक्ल मे काँटे,जानती हूँ,फिर भीचुनती हूँ•••••या तो रुक जाऊँ,या गम उठाऊँ,या छोड के निकल जाऊँ,जानती हूँ,फिर भी चलती हूँ•••••दर्द का दर्द ही दवा मेरी,जानती हूँ,फिर भी रोती हूँ•••••
ख्वाबों को हक़ीक़त,समझने लगी,तब से परेशां,मैं रहने लगी••••••!कुछ नहीं,बंद पलकों के परेस्याह अंधेरों के सिवा,उन्हीं स्याही से,रंगीन सपने,मैंउकेरने लगी.•••••••!!क्या तस्वीर बनती,क्या बनाये जा रही हूँ,खामखाँ लकीरें,खीचनें लगी•••••!!!हांथ खालीन रंग,न कलमफिर भी किस्से कई मैं बनाने लगी••••••!!!!तन्हा राहों कीमैं तन्हा राहगीर,अपनी तन्हाई से,इश्क़ मैं करने लगी••••••!